Tuesday, January 31, 2012
हिन्दी चीनी भाई-भाई!!!!!!!!!!!!!!!!!
अखण्ड़ भारत...
चाचू... मामू बनाकर चले गये.....
हिन्दुओं की मूर्खता
चचा खुराफ़ाती हैं सारे खुराफ़ात की जड़.....
काफ़िर हिन्दुओं को अल्लाह की चेतावनी
मुठ्ठी भर मुसलमानों ने चटा दी हिन्दुस्तान को धूल
मुठ्ठी भर मुसलमानों ने चटा दी हिन्दुस्तान को धूल इस्लाम के अनुसार हिन्दुओं का सबसे बड़ा दोष यह है कि वह काफ़िर हैं. इसलिये इस्लाम के अनुसार काफ़िरों के लिये सिर्फ़ दो ही रास्ते हैं. या तो वे मुस्लमान बन जायें अथवा जलील करके मार ड़ाले जायें. कुरान मजीद में अल्लाह के इन्हीं आदेशों को मानकर मोहम्मद बिन कासिम ने सन् 712 में सिन्ध के राजा को मारकर हिन्दुस्तान की बरबादी की नीव रखी. जिससे प्रेरित होकर महमूद गजनवी ने 17 बार लाखों हिन्दुओं को मारा काटा. सोमनाथ मंदिर को लूटते और तोड़ते समय 50,0000 हिन्दुओं की हत्या की. (जिसका कारण हिन्दुओं की कायरता और जरुरत से ज्यादा अन्धविश्वास था. वह हिन्दु यही सोचते रहे की भगवान उन्हें धरती पर बचाने आयेगा इसिलिये उन्होंने कातिलों का सामना नही किया और मूली-गाजर की तरह काट ड़ाले गये. यदि उसी समय हिन्दुओं ने उन मुल्लों का डट कर सामना किया होता तो इतिहास कुछ और होता) महमूद गजनवी और उसके सैनिकों ने सोने और हीरे जवाहरातों से ढ़के हुये शिवलिंग को तोड़ दिया.. लूट-पाट मचाई और अपने सैनिकों के साथ मौत का ऐसा तांड़व खेला की सारा सोमनाथ शहर वीरान हो गया. सन् 1122 में मुहम्मद शहाबुद्दीन गोरी ने तराइन के मैदान में पृथ्वीराज चौहान की हत्या करके मौत का तांड़व खेला (इसमें में मुझे पृथ्वीराज चौहान की अदूरदर्शिता ही दिखती है. अगर पृथ्वीराज चौहान ने पहली बार में ही गोरी का सफ़ाया कर दिया होता तो पक्का इतिहास कुछ और होता. तो फ़िर कोई मुल्ला जल्दी से हिन्दुस्तान की तरफ़ नजर उठाने की हिम्मत न करता) मोहम्मद गोरी का साथ देने वाला जयचन्द भी गोरी के ही हाथों मारा गया. मुहम्मद गोरी की अगुआई में मुसलमानों ने कन्नौज से लेकर बनारस तक को लूटा और साथ-साथ हिन्दुओं का कत्लेआम किया. राजा जयचन्द्र की एक पत्नी सुहागदेवी ने मोहम्मद गोरी का साथ दिया था. बदले में गोरी ने सुहाग देवी से वादा किया था कि युद्ध जीतने के बाद वह उसके पुत्र को कन्नौज का राजा बना देगा. जब मोहम्मद गोरी जयचन्द्र का राज्य कन्नौज जीतकर हिन्दुओं को मारता, काटता, लूटता बनारस पहुँचा, तो शहर के फ़ाटक पर अपने पुत्र के साथ सुहाग देवी ने मोहम्म्द गोरी का स्वागत करते हुये अपना परिचय दिया. गोरी ने सुहादेवी को कैद कर लिया और उसके पुत्र को राजा बनाने के स्थान पर मुसलमान बना दिया. मुहम्मद गोरी के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश,बलबन, अलाउद्दीन खिलजी,फ़िरोजतुगलक,सिकन्दर लोधी,तथा बाबर से लेकर औरंगजेब,अहमदशाह अब्दाली आदि बादशाहों ने हिन्दुओं का भयंकर कत्लेआम किया. सन् 1316 में तैमूर लंग कैदी बनाये गये. लगभग एक लाख हिन्दुओं को कुछ ही घंटों में मौत के घाट उतार दिया गया तथा दिल्ली से लेकर हरिद्वार तक अपने घोड़े दौड़ाये, रास्ते में पड़ने वाली हिन्दु बस्तियाँ लूट ली गयी. सन् 1731 में नादिरशाह ने दिल्ली में पाँच घंटे में डेढ़ लाख हिन्दु गाजर, मूली की तरह कटवाकर फ़ेंकवा दिया. सन् 1556 में पानीपत के मैदान में अकबर से जब हेमू (हेमचन्द्र) हार गया तो बैराम खाँ हेमू को पकड़कर अकबर के सामने लाया और अकबर से कहा कि जहाँपनाह अपनी तलवार से इस काफ़िर हिन्दु का सिर धड से अलगकर आप गाजी की उपाधी धारण करें. अकबर ने अपनी तलवार से हेमू का सिर काटकर गाजी की उपाधी धारण की. औरंगजेब ने गोकुल जाट के सिर और धड के टुकडे-टुकडे करके चील, कौवों को खाने के लिये आगरे की कोतवाली के चबूतरे पर फ़ेंकवा दिया. गोकुल जाट के पूरे परिवार को तथा उसके हजारो साथियों को जबरदस्ती मुसलमान बना लिया गया. औरंगजेब ने शिवाजी के पुत्र शम्भा की आखें निकलवा ली और शम्भा जी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके कुत्तों को खिलवा दिया. औररंगजेब ने हिन्दुओं को बड़ी क्रूरता से कुचल दिया. हिन्दुओं की रक्षा करने वाले गुरु तेग बहादुर सिंह की हत्या करवा दी. गुरु गोविन्द सिंह के दो पुत्रों की हत्या करवा दी और दो को जिन्दा ही चुनवा दिया. बाद में गुरु गोविन्द सिंह की हत्या भी एक मुसलमान पठान ने कर दी. गुरु गोविन्द सिंह के शिष्य बंदा बैरागी को बादशाह फ़रुखशियार ने गिरफ़्तार करवा कर मुसलमान बन जाने को कहा. जब बंदा बैरागी ने मुसलमान बनना स्वीकार नही किया तो बंदा बैरागी और उनके सैकडों सैनिकों का बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. मतिराम को आरे से चिरवाया गया, कुछ को खोलते तेल में ड़ालकर मारा गया तथा कई रुई के बंड़ल में लपेटकर जला दिया गया. सिख गुरुओं पर भयंकर जुल्म किये गये. वास्तव में यह सभी बादशाह केवल कुरान मजीद के आदेशों का पालन कर रहे थे.. और यह कोई मुल्लों शौर्य की गाथा नही हिन्दुओं की बेवकूफ़ी, कायरता, अंधविश्वास और अत्यधिक दयालुता वाले स्वभाव की गाथा है. हिन्दुओं के साथ इतनी त्रास्दी होने के बाद भी हिन्दुओं ने अपने इतिहास से कोई सबक नही लिया. अगर आज भी हिन्दु नही समहले और ये ऊँच-नीच जैसे ढ़कोसलों को मानते हुये अपने धर्म के उदासीन बने रहेंगे तो वह समय दूर नही जब हिन्दुस्तान फ़िर से मुल्लास्थान बन जाये... इसलिये मेरा हिन्दुओं से आग्रह है की अब तो जागो और हिन्दु एकता को बढ़ावा दो.गर्व से बो ले हम एक है. किसी चमत्कार की उम्मीद न करें की भगवान आपको बचाने आयेगा. जान लो भगवान भी उसी का साथ देता है जो खुद अत्याचार का सामना करने के लिये आगे आता है. आत्म रक्षा ही सबसे बड़ा धर्म है. इसी उद्देश्य से निकाल दो हिन्दु समाज से शूद्र या दलित जैसे शब्द. भूल जाओ अव्यवहारिक अहिंसा को. मिटा दो अतिसहिष्णुता को और गर्व से बोलों हम हिन्दु हैं.. यह गाल पिटे वह गाल बढ़ाओ, यह तो आर्यों की नीति नही अन्यायी से प्रेम अहिंसा, यह तो गीता की नीति नही हे राम बचाओ जो कहता है, वह कायर है, खुद अपना हत्यारा है जो करे वीरता अति साहस वही राम का प्यारा है.
कब्र..मजार.. या दरगाह पूजने से ही होगी धार्मिक एकता....
कब्र..मजार.. या दरगाह पूजने से ही होगी धार्मिक एकता.... मनहूस सेकुलर नेता मज़ारो (कब्रों) को खूब भुनाते हैं. मुसलमानों की कब्र जिसे मजार अथवा दरगाह कहते हैं, मे मुसलमानों से अधिक हिन्दु जाते हैं जिसके लिये मनहूस सेकुलर नेता प्रचार करते हैं कि यह हिन्दु मुस्लिम एकता का महान उदाहरण है. इन मजारो को हिन्दु मुस्लिम एकता का प्रतीक कहकर हिन्दुओं को उनमें चादर चढ़ाते दिखाया जाता है. लेकिन यह नेता हिन्दु मंदिरों में मुसलमानों से पूजा करवाकर हिन्दु-मुस्लिम एकता का उदाहरण क्यों नही पेश कराते. क्या यह ऐसा कर सकते हैं? उत्तर केवल एक है कि हरगिज नही. फ़िर यह एकतरफ़ा हिन्दु-मुस्लिम एकता की बात क्यों की जाती है? श्रीजवाहर लाल नेहरु, महात्मा गांधी, इन्दिरा गांधी, डा. राजेन्द्र प्रसाद आदि की समाधि पर उनकी पुण्यतिथि को गीता, कुरान आदि सभी धर्मो की पुस्तकों का पाठ होता है. लेकिन जाकिर हुसैन, मौलाना आजाद, फ़खरुद्दीन अली अहमद आदि मुसलिम नेताओं की मजार पर केवल कुरान का पाठ होता है. वहाँ यह नेता गीता का पाठ क्यों नही करवाते? क्या धर्मनिरपेक्षता और दूसरे धर्मो की इज्जत करने का ठेका केवल हिन्दुओं ने ही ले रखा है? अजमेर सहित भारत की अन्य दरगाहों व मज़ारों में हिन्दु कुत्ते की तरह दौड़े चले जाते हैं. अपने बच्चों को मस्जिदों में ले जाकर फ़ूंक मरवाते हैं. ऐसे हिन्दु दरगाहों मज़ारों और पीर फ़कीरों और बाबाओं के नाम से थरथर काँपते हैं. हिन्दु जिस धर्म को मानते हैं, वह अपरिभाषित है. इसलिये संकट के समय ईश्वर हिन्दुओं का साथ नही देता, इतिहास गवाह है. हिन्दुओं की यह मज़ार परस्ती (मज़ार पूजना) हिन्दु-मुस्लिम एकता का नमूना न होकर, उनकी अज्ञानता और मूर्खता है. हिन्दु धर्माचार्यों को उन्हें ऐसा करने से रोकना चाहिये. खबरदार ! यह मज़ार और बाबा पूजा बन्द करो. उस परमपिता परमेश्वर की पूजा करो, जो सबको देता है. जिसकी मजार मे तुम जाते हो अथवा अवतार के नाम पर जिस बाबा की तुम पूजा करते हो, उसे परमेश्वर ने ही पैदा किया और परमेश्वर ने ही जब चाहा उसे मार दिया. उसको अपने जिन्दा रहते जो कुछ भी मिला, परमेश्वर से ही मिला. अनन्त सूर्यों, अनन्त अनन्त ब्रह्माण्ड़ को उत्पन्न करने वाला, उन्हें प्रकृति के नियम में बाँधकर निश्चित गति देने वाला तथा उनका विनाश करने वाला, प्रकाश की गति से अनन्त गुणा गति दे सकने वाला वही परमपिता परमेश्वर ही है. उसकी इस अनन्त महान रचना के सामने, हम क्या? हमारी पृथ्वी ही लगभग शून्य के समान है. इसलिये जो भी मांगना है उस परमपिता परमेश्वर से ही मांगो. देना अथवा न देना तुम्हारे कर्म और उसकी इच्छा पर निर्भर है. गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भूत प्रेत, मूर्दा (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र अथवा समाधि) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत-प्रेत ही बनते हैं. यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपिमाम्.
हिन्दुओं का मूर्खतापूर्ण पलायनवाद
हिन्दुओं का मूर्खतापूर्ण पलायनवाद आजकल कुछ पलायनवादी हिन्दु कहते हैं कि हिंसावादी लोग आपस में ही लड़कर मर जायेंगे. कुछ कहते हैं कि उनसे अमेरिका निपट लेगा और कुछ कहते है कि लागे सम्बद बीसा, न रहे ईसा न मूसा. इसी तरह गुजरात में सोमनाथ मंदिर में पुजारियों ने अंधविश्वास फ़ैला रखा था कि मंदिर में मुस्लमान सैनिकों के पैर रखते ही, भगवान शिव क्रोध से अपना तीसरा नेत्र खोल देंगे और सारे मुस्लमान जलकर भस्म हो जायेंगे. लेकिन जब सोमनाथ मंदिर पर वास्तव में महमूद गजनवी का हमला हुआ, तो मंदिर की सुरक्षा के लिये लगाये गये हजारों सैनिक, इसी अंधविश्वास के कारण मंदिर की रक्षा के लिये लड़ने के स्थान पर अपने-अपने हथियार मंदिर में ही रखकर दीवारों और छतों पर यह देखने के लिये चढ़ गये कि भगवान शिव जब क्रोध से अपना तीसरा नेत्र खोलेंगे, तब मुसलमान सैनिक कैसे तड़प-तड़पकर मरेंगे. इतिहास गवाह है कि विरोध न होने के कारण महमूद गजनवी के आतंकवादी सैनिक तो सुरक्षित रहे, किन्तु अन्धविश्वास के नाम पर अकर्मण्यता फ़ैलाने वाले सैकड़ो पुजारियों व तमाशा देखने वाले हजारो हिन्दु सैनिकों को मार-काटकर, संसार के सबसे वैभवशाली मंदिर सोमनाथ को महमूद गजनवी ने मिट्टी में मिला दिया और लगभग 500000 हिन्दुओं को मार-काटकर सारा शहर सोमनाथ वीरान कर दिया. भाग्य और भगवान के सहारे बैठे रहने के कारण हिन्दु सदैव इसी तरह खतरों में पड़ते रहे.