Sunday, February 12, 2012

हिन्दु ग्रन्थ सत्य या साई सत्य??????

भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भूत प्रेत, मूर्दा (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र अथवा समाधि) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत-प्रेत ही बनते हैं. यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपिमाम्. मरे हुये साई बाबा और उनके कब्र की पूजा क्यों की जाती है? मतलब भागवत गीता के कथन असत्य हैं इसीलिये उसके कथन को नकारा जाता है????
हिन्दु ग्रंथो के अनुसार भगवान का अवतार किसी विशेष कार्य अथवा मनुष्यों के संकट निवारण हेतु होता है. साई के जन्म का क्या उद्देश्य था????? साई अवतार में उन्होंने लोगों को किस संकट से मुक्ति दिलाई? ??? अब यदि यह कहा जाये की साई बाबा ने धर्म, सम्प्रदाय, जाति-पाति का सदा विरोध किया तो ऐसे बहुत संत सन्यासी हुये हैं, जिन्होंने ऐसी समाजिक बुराईयों का विरोध किया. सिर्फ़ साई बाबा को इतनी मान्यता क्यों?
किसी भी हिन्दु ग्रन्थ में संत सन्यासियों के लिये आदर भाव तो बताया गया है परन्तु भगवान कभी नही माना गया तो साई बाबा को भगवान की संज्ञा क्यों दी जाती है?????
हिन्दु ग्रन्थों में भगवान विष्णु के दशावतार (मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन, नृसिंह, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्की) बताये गये हैं जिनमें से दसवां व आखिरी कल्कि अवतार कलयुग के नाश के लिये होगा. किसी भी हिन्दु ग्रन्थ में साई अवतार का कोई जिक्र नही है. तो कैसे साई को अवतारवाद की संज्ञा दी जाती है????? अब या तो हिन्दु ग्रन्थ असत्य हैं या साई बाबा……

Saturday, February 11, 2012

साई पूजना सचमुच भक्ति या अन्धविश्वास की पराकाष्ठा??????

यह पोस्ट केवल कट्टर हिन्दुत्व का दम्भ भरने वाले उन लोगों से एक प्रश्न हैं जो साई को पूजते हैं और खुद को कट्टर हिन्दुवादी भी कहलाना पसन्द करते हैं. कृप्या वही लोग इस पोस्ट का हिस्सा बनें.

सबसे पहले कट्टरवाद तो वही है जो सिर्फ़ अपने ईश्वर, धर्म और संस्कारों में विश्वास रखे. जैसे कि मुस्लिम.

मुस्लिम सम्प्रदाय को हमारे हिन्दु भगवा वस्त्रों, तिलक, मंदिरों की घंटियों, पूजा ध्वनियों इत्यादि सभी चीजों से नफ़रत है. ऐसी कोई हिन्दु वस्तु नही जिसे वे सम्मान की दृष्टि से देखें.

और हम हिन्दु सुबह उठते ही एक ऐसे बाबा को पूजते हैं जो केवल मुल्ला वस्त्र ही धारण करता था. जो हमेशा मुल्ला टोपी धारण करता था. कुल मिलाकर उसके आचरण या पहनावे में कुछ भी हिन्दु था. तो हम कट्टर हिन्दुवादी कैसे हो सकते हैं?????

क्या हमारे हिन्दु धर्म के किसी एक संत का नाम मेरे कट्टर हिन्दु मित्र बता सकते हैं जिसे मुसलमानों ने स्वीकार किया हो????

साई जिसका सबसे बड़ा संदेश यही था - "सबका मालिक एक" लेकिन कौन आज तक नही पता चला. मेरे अनुसार उनका इशारा अल्लाह की तरफ़ होगा क्योकि उनका पहनावा-आचरण व्यवहार सब मुस्लिम ही था और वह रहते भी मस्जिद में ही थे तो अनुमान यही कहता है.

अब उनके संदेश को दूसरे तरीके से समझने की कोशिश करते हैं. - "सबका मालिक एक" मतलब हिन्दु, मुस्लिम, क्रिश्चिन इत्यादि सभी धर्मों के मालिक एक ही है तो ये धर्म के बीच लड़ाई क्यों????? सभी लोग भाई-बधुत्व के साथ प्यार से रहो. सभी धर्मो को पूजो. क्योंकि आपके साई के अनुसार सभी धर्मो का मालिक एक है. यदि अब भी आपकी कट्टरता सभी धर्मो को मानने को नही कहती तो आप साई का अनुसरण नही कर रहे. तो क्यों मानते हैं साई को???????

कोई उन्हें कृष्ण का अवतार मानता है, कोई राम का तो कोई शिव का. मतलब वो हिन्दु भगवान के अवतार थे. तो मस्जिद में क्या करते थे? मन्दिर में क्या परेशानी थी उन्हें? मतलब साफ़ है कि वो भी सेकूलर थे. (लेकिन मेरा मानना है कि वो सिर्फ़ मुस्लिम धर्म ही मानते थे) सभी धर्मो को मानते थे. तो आप क्यों हिन्दुत्व का ड़ंका पीटते हैं? उनके आदर्शो पर क्यों नही चलते???? बन जाईये सेकूलर जैसा की आपके साई ने सिखाया है- "सबका मालिक एक" और अगर आपका भी मानना है कि सबका मालिक एक तो आप कट्टर धार्मिक नही है.

हमारे किसी भी हिन्दु देवी-देवता ने जब भी इस पृथ्वी पर अवतार लिया लोगों को पाप और आतंक से मुक्ति दिलाई. बिना पाप का सर्वनाश किये पृथ्वी नही छोड़ी. जब पृथ्वी चारों ओर से सुरक्षित हो गई तब उन्होंने अपने धाम को प्रस्थान किया. साई ने जब पृथ्वी पर जन्म लिया तो पूरा भारत उस समय अंग्रेज़ो के डंडे खा रहा था. भारत माता गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी थी. हजारो गोमातायें रोज कटती रही. ये बचाना तो दूर उनके खिलाफ़ कभी एक शब्द तक नही बोला. आखिर क्यों ????

जबकि हमारे जितने भी हिन्दु संत सन्यासी हुये सभी ने कुरीतियों के खिलाफ़ आवाज उठाई. उसे समाप्त करने के लिये अपने सुखों की भी परवाह नही की. देश और समाज के लिये जीये और देश और समाज के लिये ही प्राण त्याग दिये. साई ने समाज से कौन सी कुरीति को दूर किया. क्या किया देश और समाज के लिये?????? आखिर क्यों देश को गुलामी के हालत में छोड़ गये?????

अब यदि आप कट्टर हिन्दुवादी हैं तो हिन्दु धर्म ग्रंथो को भी पूजते व मानते होंगे? स्कन्द पुराण के षष्ठम् अध्याय में स्पष्ट लिखा है कि कलयुग को समाप्त करने के लिये भगवान श्रीविष्णु अपना 10वां व आखिरी ''कल्कि अवतार'' लेंगे. लेकिन किसी भी हिन्दु धार्मिक ग्रंथ में साई का जिक्र नही है???? (अगर है तो कृप्या एक प्रति मुझे भी उपलब्ध कराने की कृपा करें ) ग्रंथ लिखने वाले ऋषि मुनि यदि साई के बाद के घटनाक्रमों का उल्लेख पुराणों में कर सकते थे तो साई का क्यों नही???? मतलब साफ़ है कि साई का अवतारवाद से कोई वास्ता नही था और ना ही वह कोई संत था. संत वही होता है जो लोगो को भगवान से जोड़े , संत वो होता है जो जनता को भक्तिमार्ग की और ले जाये, संत वो होता है जो समाज मे व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए पहल करे. इस साई नाम के मुस्लिम फकीर ने जीवन में कभी भी हमारे राम या कृष्ण का नाम तक नहीं लिया और हम इस साई की काल्पनिक महिमा की कहानियो को पढ़ के इसे भगवान मान रहे हो. कितनी विचित्र मानसिकता है हम हिन्दुओं की. मेरे अनुसार तो यह एक भयानक मूर्खता है. इससे पता चलता है कि महान ज्ञानी ऋषि मुनियो के वंशज आज मूर्ख और कलुषित बुद्धि के हो गए है कि उन्हे भगवान और एक साधारण से मुस्लिम फकीर में फर्क नहीं आता..... जय श्रीराम.......