Friday, July 27, 2012

सच्चे प्रेम पर कुर्बान हुआ आलिक !!!!!!!!!!!!!!

औरंगजेब की बेटी जैबुन्निसा बहुत ही खूबसूरत थी. बुद्धि में भी वह बहुत तेज थी. औरंगजेब के सभी पहरेदारों में आलिकखान सर्वोत्तम कर्मचारी था. उसने अपनी बहादुरी व ताकत से औरंगजेब का दिल जीत लिया था. उसके इसी स्वभाव के कारण औरंगजेब की बेटी आलिकखान से एकतरफ़ा मोहब्बत का शिकार हो गई. आलिकखान के बार-बार महल में आने-जाने से उसने आलिकखान के सामने अपना प्रेम प्रकट कर दिया. आलिकखान भी जैबुन्निसा की मुहब्बत का शिकार हो चुका था वह राजकुमारी के प्रेम के लिये हर तरह की कुर्बानी करने के लिए तैयार था. जैबुन्निसा हर रोज आलिकखान से मिलने के लिए बैचेन रहती और आलिकखान कहीं न कहीं समय निकालकर उससे मिल लिया करता. कभी-कभी वह बड़े भोलेपन से आकिलखान से पूछती - क्या तुम्हे बादशाह से डर नहीं लगता?
तब आलिक निडरता से उतर देता - ''मैं तुम्हारी इस नजर से ज्यादा डरता हुं बादशाह का मुझे डर नहीं''
आलिक जैबुन्निसा के प्रेम में इतना दिवाना हो गया था कि केवल राजकुमारी को देखते रहने के लालच से वह बगीचे में मजदूर का भी काम करने लगा. वह जब भी राजकुमारी के पास से गुजरता तो कहता - ''तेरे लिए में जमीन की धूल बन गया''. इसके जबाव में जैब कहती कि - अगर तुम हवा भी बन जाओ तो भी मेरा एक भी बाल नहीं छू सकते।’
इसी तरह उनका प्यार परवान चढ़ता रहा. खुशी के ये दिन भी पलक झपकते बीत गये। अचानक एक दिन औरंगजेब ने जैबुन्निसा को दिल्ली चलने का फ़रमान जारी कर दिया.
मिलन की आखिरी रात समझ आलिक वेश बदलकर जैबुनिसा के कमरे में गया। वह उस रात का सबसे अच्छा उपयोग करना चाहता था। उसने पूरी रात अपनी महबूबा के साथ गुजारने का निश्चय कर लिया। वे दोनों खामोश बगीचे में घूमने लगे। उनका मौन उनके हृदय की बात कह रहा था। अन्त में दोनों घास पर बैठ गए। जैब अपने आंसुओ को न रोक सकी और रोने लगी। आलिक यह देख बेचैन हो उठा और जैब को अपनी बाहो में भरकर बोला, हमें मुसीबत का सामना बहादुरी से करना चाहिए। इस दुनिया में नहीं तो अगले जन्म में हम अवश्य ही मिलेंगे। जैबुन्निसा जानती थी कि आलिक का भविष्य अंधकारमय है। सच्चाई पता चलते ही औरगजैब उसे बडी सजा देने से नहीं चूकेगा. इसलिए उसने क्षमा याचना करते हुए कहा, प्यारे आलिक! तुम्हारी सारी मुसीबतों का कारण मैं हू। इसके लिए मैं माफ़ी चाहती हूं। आलिक ने समझाते हुए कहा - तुम्हे ऐसा नहीं सोचना चाहिए। इसमे किसी का दोष नहीं। दुनिया के लोग भले ही हमें एक-दूसरे से जुदा करने की कोशिश करें, लेकिन खुदा हमें अवश्य मिलाएगा। सबसे ज्यादा खुशी की वह रात पल-भर में बीत गई।
दिल्ली आने के बाद भी जैबुन्निसा और आलिकखान प्रेम पत्रों द्वारा अपने दिल का हाल एक दूसरे को बयां करते रहे. जब आलिक अपने को काबु में न रख सका तो उसने जैबुन्निसा के बगीचे में माली का काम ले लिया और इस प्रकार वह फिर अपनी महबूबा से मिल गया. बगीचे में दोनों घंटो तक साथ रहते और बातचीत करते.
एक रात जब आलिक माली के वेश में जैबुन्निसा के कमरे में था. औरंगजेब अपने नौकरों के साथ वहाँ पहुचाँ और उसने दरवाजे पर दस्तक दी. बाहर जाने का कोई रास्ता न देख आलिक पहले धबराया फिर उसने यहां वहां देखा तो उसे पानी गर्म करने का एक बडा देग खाली दिखा और वह उसमें छिप गया. फिर औरंगजेब ने जैब से पूछा इतनी रात तक तुम कैसे जाग रही हो. जैब ने जवाब दिया- अब्बाजान तबीयत ठीक न होने की वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी और इसलिए में बरामदे में बैठकर कुरान शरिफ की तिलावत कर रही थी. औरंगजेब फ़िर बोला- इस सूने कमरे में इतनी रात तक अकेले जागते रहना एक राजकुमारी को शोभा नहीं देता. औरंगजेब ने फिर कहा- जैब उस बडे देग में क्या हैं? इस पर जैबुन्निसा क्षण भर के लिए धबरा सी गई, लेकिन फिर उसने अपने को संभालते हुए जबाव दिया- कुछ नहीं अब्बाजान उसमें वजु कि लिए ठंडा पानी है. औरंगजेब ने व्यंग्य से हंसते हुए कहा इतनी ठंड में यदि तुम ठंडे पानी से वजु करोगी तो बीमार पड जाओगी उसे गर्म क्यों नहीं करवा लेतीं और फिर औरंगजेब के हुक्म के मुताबिक चूल्हा जलाया गया और पानी के देग को उपर रखा गया. किसी बहाने से जैबुन्निसा चूल्हे के पास गई और उसने धीरे से आलिक से कहा यदि तुम सचमुच मुझसे मोहब्बत करते हो तो मेरी इज्जत की खातिर जबान से उफ़्फ़ भी न करना. आलिक बोला - मैं तो तुम्हारा परवाना हूँ. तुम्हारे लिए मैं खुशी से जल जाऊंगा. उस परवरदिगार खुदाबंद से यही दुआ मांगता हूँ कि जिस चीज को हम दुनिया में हासिल न कर सके उसे खुदा हमें जन्नत में बख्शें. कुछ समय बाद औरंगजेब चला गया और आलिक देग के अन्दर जलकर मर गया.

Thursday, July 26, 2012

हकीकत ऐतिहासिक हिन्दु-मुस्लिम राखी भाई-बहनों की....

''रक्षाबन्धन'' मनहूस सेकुलर सुअरों को धर्मनिरपेक्षता का नागाड़ा बजाने का फ़ेवरेट त्यौहार. अब मनहूस सेकुलर लोग, लोगों को बहकाने के लिये रानी कर्णवती और दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को राखी भेजने का किस्सा नमक मिर्च लगाकर सुनायेंगे. तो उससे पहले हम आपको इस कहानी की वास्तविकता बताते हैं-
हुआ यह था कि मालवा और गुजरात में राज्य कर रहा बहादुरशाह, दिल्ली के बादशाह हुमायूँ का जानी दुश्मन था. क्योंकि बहादुरशाह ने हुमायूँ के जानी दुश्मनों को अपने राज्य में शरण दे रखी थी. जिनमे प्रमुख थे इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खाँ, हुमायूँ की सौलेली बहन मासूमा सुल्तान के पति मोहम्मद जमाँ मिर्जा और हुमायूँ के खून का प्यासा बाबर का बहनोई मीर मोहम्मद मेंहदी ख्वाजा. बहादुरशाह ने यह सारे के सारे हुमायूँ के दुश्मन अपने पास बैठा रखे थे. इसलिये बहादुरशाह, हुमायूँ का नम्बर एक का दुश्मन था. जिससे हुमायूँ की जान और राज के जाने का खतरा था. इसलिये हुमायूँ बहादुरशाह को समाप्त करना चाहता था. जिसके लिये मौके की तलाश में था. इसी बीच उसे मौका मिल गया. जब बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर हमला किया और चित्तौड़ के किले को घेर लिया. रानी कर्णवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर सहायता करने की गुहार लगाई. हुमायूँ ने जो पहले से बहादुरशाह के लिये घात लगाये था, मौका अच्छा समझा कि बहादुरशाह राजपूतों से उलझा है. ऐसे में अचानक हमला कर दो और दुश्मन को खत्म कर दो. इसी इरादे से हुमायूँ चला, न कि कर्णवती की रक्षा के लिये. यही कारण था कि हुमायूँ चल तो दिया था, लेकिन रानी कर्णवती की राखी की लाज बचाने के स्थान पर वह रास्ते में डेरा ड़ालकर बैठ गया. चित्तौड़ के राणा ने सन्देश पर सन्देश भेजा, लेकिन हुमायूँ टस से मस नही हुआ, मौजमस्ती मनाता रहा क्योंकि हुमायूँ क्या जाने राखी को. उसे तो मतलब था केवल अपने दुश्मन बहादुरशाह से. बहादुरशाह ने रानी कर्णवती के चित्तौड़ किले को जीतकर, उसे जी भर कर लूटा. रानी कर्णवती की राखी की लाज मुसलमान घुड़सवारों की टापों के नीचे कुचल गयी. बाद में हुमायूँ ने बहादुरशाह का गुजरात तक पीछा किया.
एक दूसरी राखी भोपाल की रानी कमलावती ने दोस्त मोहम्मद को बाँधी थी कि वह उसकी राखी की लाज रखे और उसके पति के हत्यारे बाड़ी बरेली के राजा का वध करे. दोस्त मोहम्मद ने बाड़ी बरेली के राजा का कत्ल कर दिया. बदले में रानी ने अपने इस राखी भाई को जागीर और बहुत सा धन दिया. धन और जागीर पाने के बाद और शक्तिशाली हो गये दोस्त मोहम्मद ने भोपाल की रानी और अपनी राखी बहन कमलावती का सफ़ाया कर दिया और पूरे भोपाल राज्य को ही हड़प लिया.
ये है हकीकत इन ऐतिहासिक हिन्दु-मुस्लिम राखी भाई-बहनों की.....
सभी को रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनायें.....
जय श्रीराम.......