Tuesday, December 25, 2012

क्रान्ति नही शान्ति....


कांग्रेस के खिलाफ़ लोगों में इतना आक्रोश है कि उसके कारण दिल्ली पुलिस के कॉन्स्टेबल सुभाष तोमर की मृत्यु हो गयी. समझ से परे है कि चुनाव के वक्त कांग्रेस के खिलाफ़ लोगों का ये आक्रोश और ज्वारभाटा कहाँ गायब हो जाता है??????
क्या जरुरत थी इस प्रदर्शन की??????? जबकि अन्नाजी और बाबा रामदेव के प्रदर्शन का रिजल्ट सबके सामने था कि किस तरह महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर हैवानियत का तांड़व किया गया था. देश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नही बची है. सरकार हर क्रान्ति को एक तानाशाह शासक की तरह कुचल कर रख देगी. इस राक्षसराज में जनता की पुकार सुनने वाला कोई नही है. ऐसे में क्या हमारे सामने सिर्फ़ एक ही विकल्प क्रान्ति ही बची थी?????
बिल्कुल नही. क्योकि हम लोकतंत्र में रहते हैं और लोकतंत्र में जान देकर या जान लेकर ही न्याय की प्राप्ति नही हो सकती. इसके लिये हमें बन्दूक उठाने की जरुरत नही है. लोकतंत्र का हथियार वोट है. हम सभी शान्तिप्रिय भारतवासियों को एक होकर खूब उत्साह से इसी वोट रुपी हथियार का प्रयोग बलात्कारियों, हिंसावादियों व उनके समर्थक नेताओं और जातिवादियों के विरुद्ध एक जुट होकर करना है. आलस्य को छोड़कर, हर काम को छोड़कर अपने वोट को जरुर ड़ालना है. जिससे ऐसे लोग चुनाव में हारकर सत्ता की ताकत से दूर रहें और वे लोग चुनाव जीतें, जो बिना किसी भेदभाव के सब पर बराबर न्याय करते हुये, देश में शान्ति स्थापित कर सकें.
सभी मित्रों से आग्रह है कि देश में शान्ति-व्यवस्था बनायें रखें और आज और अभी प्रण करें कि अपने वोट रुपी ताकत का इस्तेमाल अवश्य करेंगे और सत्ता परिवर्तन द्वारा ही इन आतातायी राक्षसों का सफ़ाया करेंगे. जय हिन्द.....