क्या सभी धर्मों का उद्देश्य एक ही है????
आजकल हमारे कुछ माननीय धर्माचार्य सर्वधर्म समभाव कि बात करते हैं. बताते हैं कि सभी धर्मों का उद्देश्य मनुष्यों को सत्य के रास्ते पर लाना ही है. उनके मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन उनका लक्ष्य एक ही है. सारे धर्म एक ही सत्य को बताते हैं. एक ही लक्ष्य कि ओर ले जाते है. सभी धर्म सिखाते हैं कि सभी मनुष्य आपस में प्रेम करें और किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहें. लेकिन वास्तव में सच्चाई इसके विपरीत है. जैसे कि ईसाई धर्म का कहना है कि केवल ईसाई धर्म ही सच्चा धर्म है. केवल ईसा मसीह को मानने वाले ही स्वर्ग में जायेंगे. देवी-देवता रुपी शैतानों को पूजने वाले नही. इस देश मे हिन्दू समाज में ही चल रहे अनेकों मत भी इसी प्रकार कहते हैं. जैसे-प्रजापति ब्रह्माकुमारी मत को मानने वाले कहते हैं कि केवल दादा लेखराज जो कि साक्षात ब्रह्म हैं को मानने वाले ही स्वर्ग में प्रवेश पा सकेंगे. मुसलमानों के धर्म इस्लाम के अनुसार इस्लाम ही सच्चा दीन (धर्म) है. जिसमे ईमान (विश्वास) लाने वाले ही मुसलमान ही जन्नत (स्वर्ग) में प्रवेश पायेंगे. देवी-देवता आदि की पूजा करने वाले काफ़िर अपने देवी-देवताओं सहित नरक में झोंक दिये जायेंगे.
इस्लाम के अनुसार काफ़िर लोग फ़साद (झगड़े) की जड़ हैं. क्योकि इस्लाम स्वीकार करने से इंकार करने वाले इन इंकारियों को सजा देने के लिये मुसलमानों को उनसे युद्ध करना पड़ता है. इस्लाम में मुसलमानों के साथ शान्ति और काफ़िरों के साथ युद्ध करने का अल्लाह का आदेश है और इन्हीं अल्लाह के आदेशों को मानते हुये अकबरुद्दीन औवेसी जैसे लोग आज भी हिन्दुओं के खिलाफ़ लोगों को भड़काते हैं तो कैसे मान लिया जाये कि सभी धर्मों का उद्देश्य एक है?? जब काफ़िरों का सफ़ाया करना ही इस्लाम का मुख्य उद्देश्य हो, तो मुसलिम समाज हिन्दुओं के प्रति कैसे नरम रह सकता है?? कैसे उनके प्रति अहिंसक हो सकता है?? जब एक धर्म दूसरे धर्म के ईश्वर को शैतान की संज्ञा देता है तो कैसे मान लें कि सभी धर्मों का उद्देश्य एक है??
आजकल हमारे कुछ माननीय धर्माचार्य सर्वधर्म समभाव कि बात करते हैं. बताते हैं कि सभी धर्मों का उद्देश्य मनुष्यों को सत्य के रास्ते पर लाना ही है. उनके मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन उनका लक्ष्य एक ही है. सारे धर्म एक ही सत्य को बताते हैं. एक ही लक्ष्य कि ओर ले जाते है. सभी धर्म सिखाते हैं कि सभी मनुष्य आपस में प्रेम करें और किसी भी प्रकार की हिंसा से दूर रहें. लेकिन वास्तव में सच्चाई इसके विपरीत है. जैसे कि ईसाई धर्म का कहना है कि केवल ईसाई धर्म ही सच्चा धर्म है. केवल ईसा मसीह को मानने वाले ही स्वर्ग में जायेंगे. देवी-देवता रुपी शैतानों को पूजने वाले नही. इस देश मे हिन्दू समाज में ही चल रहे अनेकों मत भी इसी प्रकार कहते हैं. जैसे-प्रजापति ब्रह्माकुमारी मत को मानने वाले कहते हैं कि केवल दादा लेखराज जो कि साक्षात ब्रह्म हैं को मानने वाले ही स्वर्ग में प्रवेश पा सकेंगे. मुसलमानों के धर्म इस्लाम के अनुसार इस्लाम ही सच्चा दीन (धर्म) है. जिसमे ईमान (विश्वास) लाने वाले ही मुसलमान ही जन्नत (स्वर्ग) में प्रवेश पायेंगे. देवी-देवता आदि की पूजा करने वाले काफ़िर अपने देवी-देवताओं सहित नरक में झोंक दिये जायेंगे.
इस्लाम के अनुसार काफ़िर लोग फ़साद (झगड़े) की जड़ हैं. क्योकि इस्लाम स्वीकार करने से इंकार करने वाले इन इंकारियों को सजा देने के लिये मुसलमानों को उनसे युद्ध करना पड़ता है. इस्लाम में मुसलमानों के साथ शान्ति और काफ़िरों के साथ युद्ध करने का अल्लाह का आदेश है और इन्हीं अल्लाह के आदेशों को मानते हुये अकबरुद्दीन औवेसी जैसे लोग आज भी हिन्दुओं के खिलाफ़ लोगों को भड़काते हैं तो कैसे मान लिया जाये कि सभी धर्मों का उद्देश्य एक है?? जब काफ़िरों का सफ़ाया करना ही इस्लाम का मुख्य उद्देश्य हो, तो मुसलिम समाज हिन्दुओं के प्रति कैसे नरम रह सकता है?? कैसे उनके प्रति अहिंसक हो सकता है?? जब एक धर्म दूसरे धर्म के ईश्वर को शैतान की संज्ञा देता है तो कैसे मान लें कि सभी धर्मों का उद्देश्य एक है??
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