(हो सकता है मेरे शब्द लोगों को बुरे लगे पर गजनवी के बारे में पढ़कर खून जल रहा है कि हिन्दु कैसी कौम है जो कभी गलत का विरोध नही करती. क्यो भगवान और भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं हम. अगर कोई कहता है कि हिन्दुओं ने वीरता का कार्य किया था तो हम अपने यह शब्द वापिस लेकर क्षमा चाहते हैं.)
कुछ सालों पहले (शायद 2006 में) अभय भारत मासिक पात्रिका के संस्थापक व पूर्वी दिल्ली से भूतपूर्व लोकसभा सदस्य श्री बी.एल.शर्मा जी से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था वह ओफ़िस में किसी मित्र को बता रहे थे कि वह बचपन में गजनी गये थे. वहां उन्होंने उस जगह को देखा जहाँ हिन्दु औरतों की नीलामी हुई थी. उस स्थान पर मुसलमानों ने एक स्तम्भ बना रखा है. जिसमे लिखा है- 'दुख्तरे हिन्दोस्तान, नीलामे दो दीनार'. अर्थात इस जगह हिन्दुस्तानी औरतें दो-दो दीनार में नीलाम हुई. उस समय तो यह सब बाते समझ नही आई पर आज उस वाक्य के बारे में जानने की इच्छा हुई. खोजने पर पता चला कि - महमूद गजनवी ने हिन्दुओं को अपमानित करने के लिये अपने 17 हमलों में लगभग 4 लाख हिन्दु औरतें पकड़ कर गजनी उठा ले गया. महमूद गजनवी जब इन औरतों को गजनी ले जा रहा था तो वे अपने भाई, और पतियों से बुला-बुला कर बिलख-बिलख कर रो रही थी. और अपने को बचाने की गुहार लगा रही थी. लेकिन करोडो हिन्दुओं के बीच से मुठ्ठी भर मुसलमान सैनिकों द्वारा भेड़ बकरियों की तरह ले जाई गई. रोती बिलखती इन लाखों हिन्दु नारियों को बचाने न उनके पिता आये, न पति न भाई और न ही इस विशाल भारत के करोड़ो हिन्दु. उनकी रक्षा के लिये न तो कोई अवतार हुआ और न ही कोई देवी देवता आये. महमूद गजनवी ने इन हिन्दु लड़कियों और औरतों को ले जाकर गजनवी के बाजार में समान की तरह बेंच ड़ाला.
संसार की किसी कौम के साथ ऐसा अपमान नही हुआ. जैसा हिन्दु कौम के साथ हुआ. और ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि वह सोचते हैं कि जब अत्याचार बढ़ेगा तब भगवान स्वयं उन्हें बचाने आयेंगे परन्तु इतिहास से सबक लेते हुये हिन्दुओं को समझ लेना चाहिये कि भगवान भी अव्यवहारिक अहिंसा व अतिसहिष्णुता को नपुसंकता करार देते हैं. क्योकि भगवान ने अपने सभी अवतारों में यही संदेश दिया है कि अपनी रक्षा स्वयं करों. तुम्हारी आँखे मैने आगे दी हैं गलत का विरोध करो. पीछे मै सदैव तुम्हारे साथ खड़ा हूँ. परन्तु अत्याचारियों का मुकाबला किये बिना, उनके द्वारा मर जाना, स्वर्ग का रास्ता न होकर नरक का रास्ता है. याद रखो-
यह गाल पिटे वह गाल बढ़ाओ, यह तो आर्यो की नीति नही
अन्यायी से प्रेम अहिंसा यह तो गीता की निति नही
हे राम बचाओ जो कहता है, वह कायर है खुद अपना हत्यारा है.
जो करे वीरता अति साहस वही राम का प्यारा है.
बहुत ही खून खौलाने वाली जानकारी है...!
ReplyDeleteबिलकुल सत्य है
ReplyDeletemera to khun khaol gayaa yaaar. please gade murde mat ukhado yaar
ReplyDeletenahi to fir se kahi danga, maar kaat suru na hojaye india me
सटीक
ReplyDeleteसटीक
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