Thursday, July 26, 2012

हकीकत ऐतिहासिक हिन्दु-मुस्लिम राखी भाई-बहनों की....

''रक्षाबन्धन'' मनहूस सेकुलर सुअरों को धर्मनिरपेक्षता का नागाड़ा बजाने का फ़ेवरेट त्यौहार. अब मनहूस सेकुलर लोग, लोगों को बहकाने के लिये रानी कर्णवती और दिल्ली के बादशाह हुमायूँ को राखी भेजने का किस्सा नमक मिर्च लगाकर सुनायेंगे. तो उससे पहले हम आपको इस कहानी की वास्तविकता बताते हैं-
हुआ यह था कि मालवा और गुजरात में राज्य कर रहा बहादुरशाह, दिल्ली के बादशाह हुमायूँ का जानी दुश्मन था. क्योंकि बहादुरशाह ने हुमायूँ के जानी दुश्मनों को अपने राज्य में शरण दे रखी थी. जिनमे प्रमुख थे इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खाँ, हुमायूँ की सौलेली बहन मासूमा सुल्तान के पति मोहम्मद जमाँ मिर्जा और हुमायूँ के खून का प्यासा बाबर का बहनोई मीर मोहम्मद मेंहदी ख्वाजा. बहादुरशाह ने यह सारे के सारे हुमायूँ के दुश्मन अपने पास बैठा रखे थे. इसलिये बहादुरशाह, हुमायूँ का नम्बर एक का दुश्मन था. जिससे हुमायूँ की जान और राज के जाने का खतरा था. इसलिये हुमायूँ बहादुरशाह को समाप्त करना चाहता था. जिसके लिये मौके की तलाश में था. इसी बीच उसे मौका मिल गया. जब बहादुरशाह ने चित्तौड़ पर हमला किया और चित्तौड़ के किले को घेर लिया. रानी कर्णवती ने हुमायूँ को राखी भेजकर सहायता करने की गुहार लगाई. हुमायूँ ने जो पहले से बहादुरशाह के लिये घात लगाये था, मौका अच्छा समझा कि बहादुरशाह राजपूतों से उलझा है. ऐसे में अचानक हमला कर दो और दुश्मन को खत्म कर दो. इसी इरादे से हुमायूँ चला, न कि कर्णवती की रक्षा के लिये. यही कारण था कि हुमायूँ चल तो दिया था, लेकिन रानी कर्णवती की राखी की लाज बचाने के स्थान पर वह रास्ते में डेरा ड़ालकर बैठ गया. चित्तौड़ के राणा ने सन्देश पर सन्देश भेजा, लेकिन हुमायूँ टस से मस नही हुआ, मौजमस्ती मनाता रहा क्योंकि हुमायूँ क्या जाने राखी को. उसे तो मतलब था केवल अपने दुश्मन बहादुरशाह से. बहादुरशाह ने रानी कर्णवती के चित्तौड़ किले को जीतकर, उसे जी भर कर लूटा. रानी कर्णवती की राखी की लाज मुसलमान घुड़सवारों की टापों के नीचे कुचल गयी. बाद में हुमायूँ ने बहादुरशाह का गुजरात तक पीछा किया.
एक दूसरी राखी भोपाल की रानी कमलावती ने दोस्त मोहम्मद को बाँधी थी कि वह उसकी राखी की लाज रखे और उसके पति के हत्यारे बाड़ी बरेली के राजा का वध करे. दोस्त मोहम्मद ने बाड़ी बरेली के राजा का कत्ल कर दिया. बदले में रानी ने अपने इस राखी भाई को जागीर और बहुत सा धन दिया. धन और जागीर पाने के बाद और शक्तिशाली हो गये दोस्त मोहम्मद ने भोपाल की रानी और अपनी राखी बहन कमलावती का सफ़ाया कर दिया और पूरे भोपाल राज्य को ही हड़प लिया.
ये है हकीकत इन ऐतिहासिक हिन्दु-मुस्लिम राखी भाई-बहनों की.....
सभी को रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनायें.....
जय श्रीराम.......

12 comments:

  1. सेक्युलरों को आइना दिखाता एक सार्थक लेख...

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    1. धन्यवाद सुमित जी.......

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    2. Bhai gaad me itni aag q lagi he tere mughal tere ghar se b kisi aurat ko le gye the kya

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    1. धन्यवाद पूरण जी.......

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  3. bahut bahut acha...
    mujhe iske bare m kuch ni pta tha
    thnkiu

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    1. सुभांशु जी मैंने भी स्कूल में यही पढ़ा था कि कर्णवती ने हुमायूँ को राखी भेजी थी और वह उसकी मदद के लिये चल पडा था पर यह सब मुस्कामानों की नीचता को छुपाने के लिये बच्चों को झूठी-मूठी कहानियाँ पढ़ाई जाती हैं जिससे हिन्दु आने वाले खतरों से असवाधान रहें...... अगर सत्यता जाननी है तो अच्छे राइटरस की किताबें पढ़े तभी इतिहास का सही ज्ञान हो पायेगा.....

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    2. han sahi keh rhi ho aap..
      ap jo keh rhi ho wo maine school m bhi ni padha
      mujhe exectly ye bhi ni pta tha ki rakhsha bandhan manate kyun h
      bas ek do bhagwan ki kahani suni h..
      well seriously heads off
      absolute genious

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  4. Your all articles are nice. But this is eye opening. I hate these
    secular peoples. Hindi Hindu Hindustan

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    1. गौरव जी सेकुलर हिन्दु धर्म पर कोढ़ हैं... इनसे जितनी नफ़रत की जाये कम है....

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  5. इतिहास को ऐसे ही झूठा बनाकर लोगों को पढाया जा रहा है ...इसी कारन आने वाली पीढ़ीओं देश भक्ति की भावना समाप्त हो रही है ........आंखे खोलने वाली है आपकी पोस्ट ....

    डॉ रत्नेश त्रिपाठी

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  6. धन्यवाद रत्नेश जी.....

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