Tuesday, January 31, 2012

हिन्दुओं का मूर्खतापूर्ण पलायनवाद

हिन्दुओं का मूर्खतापूर्ण पलायनवाद आजकल कुछ पलायनवादी हिन्दु कहते हैं कि हिंसावादी लोग आपस में ही लड़कर मर जायेंगे. कुछ कहते हैं कि उनसे अमेरिका निपट लेगा और कुछ कहते है कि लागे सम्बद बीसा, न रहे ईसा न मूसा. इसी तरह गुजरात में सोमनाथ मंदिर में पुजारियों ने अंधविश्वास फ़ैला रखा था कि मंदिर में मुस्लमान सैनिकों के पैर रखते ही, भगवान शिव क्रोध से अपना तीसरा नेत्र खोल देंगे और सारे मुस्लमान जलकर भस्म हो जायेंगे. लेकिन जब सोमनाथ मंदिर पर वास्तव में महमूद गजनवी का हमला हुआ, तो मंदिर की सुरक्षा के लिये लगाये गये हजारों सैनिक, इसी अंधविश्वास के कारण मंदिर की रक्षा के लिये लड़ने के स्थान पर अपने-अपने हथियार मंदिर में ही रखकर दीवारों और छतों पर यह देखने के लिये चढ़ गये कि भगवान शिव जब क्रोध से अपना तीसरा नेत्र खोलेंगे, तब मुसलमान सैनिक कैसे तड़प-तड़पकर मरेंगे. इतिहास गवाह है कि विरोध न होने के कारण महमूद गजनवी के आतंकवादी सैनिक तो सुरक्षित रहे, किन्तु अन्धविश्वास के नाम पर अकर्मण्यता फ़ैलाने वाले सैकड़ो पुजारियों व तमाशा देखने वाले हजारो हिन्दु सैनिकों को मार-काटकर, संसार के सबसे वैभवशाली मंदिर सोमनाथ को महमूद गजनवी ने मिट्टी में मिला दिया और लगभग 500000 हिन्दुओं को मार-काटकर सारा शहर सोमनाथ वीरान कर दिया. भाग्य और भगवान के सहारे बैठे रहने के कारण हिन्दु सदैव इसी तरह खतरों में पड़ते रहे.

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