Tuesday, January 31, 2012

कब्र..मजार.. या दरगाह पूजने से ही होगी धार्मिक एकता....

कब्र..मजार.. या दरगाह पूजने से ही होगी धार्मिक एकता.... मनहूस सेकुलर नेता मज़ारो (कब्रों) को खूब भुनाते हैं. मुसलमानों की कब्र जिसे मजार अथवा दरगाह कहते हैं, मे मुसलमानों से अधिक हिन्दु जाते हैं जिसके लिये मनहूस सेकुलर नेता प्रचार करते हैं कि यह हिन्दु मुस्लिम एकता का महान उदाहरण है. इन मजारो को हिन्दु मुस्लिम एकता का प्रतीक कहकर हिन्दुओं को उनमें चादर चढ़ाते दिखाया जाता है. लेकिन यह नेता हिन्दु मंदिरों में मुसलमानों से पूजा करवाकर हिन्दु-मुस्लिम एकता का उदाहरण क्यों नही पेश कराते. क्या यह ऐसा कर सकते हैं? उत्तर केवल एक है कि हरगिज नही. फ़िर यह एकतरफ़ा हिन्दु-मुस्लिम एकता की बात क्यों की जाती है? श्रीजवाहर लाल नेहरु, महात्मा गांधी, इन्दिरा गांधी, डा. राजेन्द्र प्रसाद आदि की समाधि पर उनकी पुण्यतिथि को गीता, कुरान आदि सभी धर्मो की पुस्तकों का पाठ होता है. लेकिन जाकिर हुसैन, मौलाना आजाद, फ़खरुद्दीन अली अहमद आदि मुसलिम नेताओं की मजार पर केवल कुरान का पाठ होता है. वहाँ यह नेता गीता का पाठ क्यों नही करवाते? क्या धर्मनिरपेक्षता और दूसरे धर्मो की इज्जत करने का ठेका केवल हिन्दुओं ने ही ले रखा है? अजमेर सहित भारत की अन्य दरगाहों व मज़ारों में हिन्दु कुत्ते की तरह दौड़े चले जाते हैं. अपने बच्चों को मस्जिदों में ले जाकर फ़ूंक मरवाते हैं. ऐसे हिन्दु दरगाहों मज़ारों और पीर फ़कीरों और बाबाओं के नाम से थरथर काँपते हैं. हिन्दु जिस धर्म को मानते हैं, वह अपरिभाषित है. इसलिये संकट के समय ईश्वर हिन्दुओं का साथ नही देता, इतिहास गवाह है. हिन्दुओं की यह मज़ार परस्ती (मज़ार पूजना) हिन्दु-मुस्लिम एकता का नमूना न होकर, उनकी अज्ञानता और मूर्खता है. हिन्दु धर्माचार्यों को उन्हें ऐसा करने से रोकना चाहिये. खबरदार ! यह मज़ार और बाबा पूजा बन्द करो. उस परमपिता परमेश्वर की पूजा करो, जो सबको देता है. जिसकी मजार मे तुम जाते हो अथवा अवतार के नाम पर जिस बाबा की तुम पूजा करते हो, उसे परमेश्वर ने ही पैदा किया और परमेश्वर ने ही जब चाहा उसे मार दिया. उसको अपने जिन्दा रहते जो कुछ भी मिला, परमेश्वर से ही मिला. अनन्त सूर्यों, अनन्त अनन्त ब्रह्माण्ड़ को उत्पन्न करने वाला, उन्हें प्रकृति के नियम में बाँधकर निश्चित गति देने वाला तथा उनका विनाश करने वाला, प्रकाश की गति से अनन्त गुणा गति दे सकने वाला वही परमपिता परमेश्वर ही है. उसकी इस अनन्त महान रचना के सामने, हम क्या? हमारी पृथ्वी ही लगभग शून्य के समान है. इसलिये जो भी मांगना है उस परमपिता परमेश्वर से ही मांगो. देना अथवा न देना तुम्हारे कर्म और उसकी इच्छा पर निर्भर है. गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि भूत प्रेत, मूर्दा (खुला या दफ़नाया हुआ अर्थात् कब्र अथवा समाधि) को सकामभाव से पूजने वाले स्वयं मरने के बाद भूत-प्रेत ही बनते हैं. यान्ति देवव्रता देवान् पितृन्यान्ति पितृव्रताः भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपिमाम्.

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