Tuesday, January 31, 2012

चचा खुराफ़ाती हैं सारे खुराफ़ात की जड़.....

आज हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि हमारे चचा जान को इस देश में सारी खुफ़ाफ़ात की जड़ क्यों माना जाता है.... सन् 1947 में भारत का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ और मुसलमानों के लिये अलग देश पाकिस्तान बना. इसलिये सरदार पटेल और डा0 भीमराव अम्बेडकर चाहते थे कि आबादी का बँटवारा भी हो अर्थात् सभी मुस्लमान पाकिस्तान जायें और हिन्दु भारत आयें. क्योकि उनका स्पष्ट मानना था कि मुसलिम देश पाकिस्तान में हिन्दु सुरक्षित नही रह सकते. लेकिन हमारे प्यारे चचा जान ने उनकी बात नही मानी. (बाद में डा0 अम्बेडकर और सरदार पटेल की बात सही साबित हुई, जब पाकिस्तान में हिन्दु लूटे, मारे, काटे गये.) पाकिस्तान बनाने वाले मोहम्मद अली जिन्ना भी इसके लिये तैयार थे. इस तरह 1192 में मोहमम्द शहाबुद्दीन गौरी द्वारा पृथ्वीराज चौहान से इस देश की राज सत्ता हथियाये जाने के पूरे 755 वर्षों बाद देश को मुस्लिम आतंकवाद से सदा के लिये छुटकारा पाने का सुनहरा अवसर मिला. लेकिन इस सुनहरे अवसर को हमारे चचा जान श्री जवाहर लाल नेहरु ने अपनी धर्मनिरपेक्षता की गलत नीति के कारण खो दिया. मुसलमानों ने अपने लिये अलग देश पाकिस्तान ले लिया, तो मुसलमानों को यहाँ क्यों रहने दिया. ''हँस कर लिया है पाकिस्तान, लड़कर लेंगे हिन्दुस्तान'' का नारा लगाने वाले मुसलमानों को भारत में रहने देकर, चचा जवाहरलाल नेहरु ने हिन्दु और मुसलमानों के बीच झगड़े का बीज सदैव के लिये बो दिया. भारत में रह गये इन मुसलमानों ने दर्जन-दर्जन भर बच्चे पैदा करके अपनी आबादी इतनी बढ़ायी कि आज भारत दुनिया में सबसे अधिक अबादी वाला देश बन चुका है.
भारत के बँटवारे के बाद शेष भारत के भी इस्लामीकरण की एक निश्चित योजना के तहत कट्टरतम मुसलमान पाकिस्तान न जाकर चचा और उनकी कांग्रेस के सहयोग से भारत में ही रुक गये. कितनी बेतुकी बात है कि मुसलमानों ने भारत का बँटवारा करवाकर अपने लिये पाकिस्तान के रुप में अलग देश बना लिया. फ़िर भी भारत आज दुनिया में मुसलमानों की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है. जिसका परिणाम आज नही तो कल इस देश को भुगतना ही पड़ेगा. कांग्रेस और इस देश के तमाम नकली धर्मनिरपेक्षतावादी नेताओं को इसका जवाब देना ही पड़ेगा....

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